बुधवार, 4 अगस्त 2010

शर्म शर्म है झारखंड

एक आदमी रोटी बेलता है. 
एक आदमी रोटी खाता है.
 एक तीसरा भी आदमी है जो न रोटी बेलता है और न रोटी खाता है 
वह केबल रोिटयों से खेलता है. 
मैं पूछता हूँ 
वह तीसरा आदमी कौन है
मेरे देश की संसद मौन है.

धूिमल की इस किवता को समझना हो तो झारखंड  आएं. यहाँ िवधायक िवकते  हैं. संताल् परगना दूसरा कालाहांडी है.
कुमार राहुल 

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