गुरुवार, 12 अगस्त 2010

रमण कुमार सिंह की हिन्दी कविताएं

बच्चों से हमारी चाहतें
हम अपने बच्चों में बच्चा नहीं
भविष्य का सफल व्यक्ति ढूंढ़ते हैं
हम चाहते हैं कि उनके शिशु-मस्तिष्क
कंप्यूटर जैसे हों तेज़
और हौसले हीलियम भरे गुब्बारे की तरह
इंसानियत के तमाम गुण हों हमारे बच्चे में
और बड़ों का सम्मान तो भगवान की तरह करे वो
हम अपने बच्चे के औसत या फिसड्डी होने की
तो कभी सोच ही नहीं सकते
औसत या फिसड्डी बच्चे हों भी हमारे तो
उसे अपना कहने में भी शरमाते हैं
हम चाहते हैं कि हम जो हासिल न कर पाये
वो सब कुछ हासिल करें हमारे बच्चे
हम चाहते हैं कि वो
कल्पना चावला की तरह प्रसृद्धि पाएं
मगर उनका हश्र कल्पना चावला जैसा न हो
हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे
सुंदर हों और सुशील भी
उनके दिलों में प्यार हो और उमंगें बेशुमार
मगर हमारी पसंद के बिना वो किसी को न करे पसंद
वे बस हमारी उम्मीदों का माइल स्टोन बनें
हम ये भी चाहते हैं कि
लोग उन्हें मेरे परिचय से नहीं
बल्कि उनके परिचय से हमें जानें
अपने बच्चों को लेकर हमारे मन में
अनंत चाहतें होती हैं
हम चाहते हैं वो ये करे
वो वह करे
सब कुछ करे
लेकिन
अपने मन की न करे...
चौराहे पर लड़की
अपनी चिर-पुरातन पोपली आत्मा और
दादी-नानी द्वारा मिली नसीहतों का कवच उतार
चौराहे पर थी खड़ी लड़की अकेली
उसके आंचल में कुछ फूल थे सूखे हुए
मन में थीं कुछ दबी भावनाएं
कंठ में कोई गीत था उसके
जिसे वह रह-रह कर
गुनगुना उठती थी
आसपास खड़े लोगों में उसको लेकर
कुछ फुसफुसाहटें थीं कुछ जुगुप्सा
- किसकी बेटी है... किसकी पत्नी...
- चीज़ बड़ी ऊंची लगती है...
- हां मगरूर भी...
- कर रही होगी किसी का इंतजार
लोगों के मन में बहुत कुछ है
इस लड़की के विषय में
सिवा किसी सम्मानजनक भाव के
इन सबसे बेपरवाह लड़की
अपने में ही मगन
दृढ़ता से खड़ी है
अकेली
चौराहे पर
माफ़ करना मिता
मैं तुम्हें सोते हुए छोड़कर जा रहा हूं
हालांकि सोते हुओं को बिना जगाये
छोड़कर निकल जाना ठीक नहीं है
मगर माफ़ करना मिता
मैं तुम्हें सोते हुए छोड़कर जा रहा हूं
इतिहास में लांछित है गौतम बुद्ध
यशोधरा और राहुल को
सोते हुए छोड़कर जाने के लिए
हालांकि मैं बुद्ध नहीं हूं
हरेक को निकलना पड़ता है अकेले ही
अकेले ही भोगना होता है भटकाव
जब तुम जगोगी तो तुम्हें यह दुनिया
कुछ बदली-बदली नजर आएगी
आज का समय वही नहीं होगा
जो कल का था
और न ही आज का दुख
कल का दुख होगा
न आज का चुंबन वह होगा
और न आज के आलिंगन में वो खिंचाव
जो कल था
सब कुछ एकदम नया-नया होगा
एक नई शुरुआत के लिए आमंत्रण देता हुआ

संपर्क-द्वारा-पंकज बिष्ट
98, कला विहार, मयूर विहार फेज-वन एक्स.
दिल्ली - 110091
फोन नंबर - 9873890173

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